Bal krishna kill these 5 demon- Hindi Story

    Author: kushal ahuja Genre:
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    पुतना सहित इन 5 इन राक्षसों का वध किया था बालकृष्ण ने

    Bal krishna kill these 5 demon- Hindi Story : देवकी और वसुदेव के विवाह के समय आकाशवाणी हुई थी कि देवकी के गर्भ से जन्म लेने वाली आठवीं संतान कंस का वध करेगी। इसके बाद कंस ने देवकी और वसुदेव को मथुरा के कारागृह में बंद कर दिया था। कारागृह में कंस ने देवकी और वसुदेव की सात संतानों का वध कर दिया। आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और भगवान की माया से वसुदेव ने बालगोपाल को यशोदा के घर पहुंचा दिया। कुछ समय बाद ही कंस को मालूम हो गया कि देवकी की आठवीं संतान का जन्म हो चुका है और वह गोकुल में है। इसके बाद कंस ने कई राक्षसों को बालक कृष्ण को मारने के लिए भेजा, लेकिन कान्हा ने उन सभी राक्षसों का वध कर दिया।यहां जानिए बालपन में ही श्रीकृष्ण ने किन राक्षसों का वध कैसे किया था…
    पुतना का वध (Putna Vadh)
    पुतना का वध (Putna Vadh)
    बालकृष्ण ने सबसे पहले पुतना का वध किया। पुतना के विषय में काफी लोग जानते हैं। वह कंस द्वारा भेजी गई एक राक्षसी थी और श्रीकृष्ण को स्तनपान के जरिए विष देकर मार देना चाहती थी। पुतना कृष्ण को विषपान कराने के लिए एक सुंदर स्त्री का रूप धारण कर वृंदावन में पहुंची थी। मौका पाकर पुतना ने बालकृष्ण को उठा लिया और स्तनपान कराने लगी। श्रीकृष्ण ने स्तनपान करते-करते ही पुतना का वध कर दिया।
    तृणावर्त का वध  (Trinavarta Vadh)
    तृणावर्त का वध (Trinavarta Vadh)
    जब कंस को यह मालूम हुआ कि पुतना का वध हो गया है तो उसने श्रीकृष्ण को मारने के लिए तृणावर्त नामक राक्षस को भेजा। तृणावर्त बवंडर का रूप धारण करके बड़े-बड़े पेड़ों को भी उखाड़ सकता था। तृणावर्त बवंडर बनकर गया और उसने बालकृष्ण को भी अपने साथ उड़ा लिया। इसके बाद श्रीकृष्ण ने अपना भार बहुत बड़ा लिया, जिसे तृणावर्त भी संभाल नहीं पाया। जब बवंडर शांत हुआ तो बालकृष्ण ने राक्षस का गला पकड़कर उसका वध कर दिया।
    वत्सासुर का वध (Killing of Vatsasura)
    वत्सासुर का वध (Killing of Vatsasura)
    जब कंस को मालूम हुआ कि कृष्ण ने पुतना के बाद तृणावर्त का भी वध कर दिया है, तब उसने वत्सासुर को भेजा। वत्सासुर एक बछड़े का रूप धारण करके श्रीकृष्ण की गायों के साथ मिल गया। कान्हा उस समय गायों का चरा रहे थे। बालकृष्ण ने उस बछड़े के रूप में दैत्य को पहचान लिया और उसकी पूंछ पकड़ घुमाया और एक वृक्ष पर पटक दिया। यहीं उस दैत्य का वध हो गया।
    बकासुर का वध (Killing of Bakasur )
    बकासुर का वध (Killing of Bakasur )
    वत्सासुर के बाद कंस ने बकासुर को भेजा। बकासुर एक बगुले का रूप धारण करके श्रीकृष्ण को मारने के लिए पहुंचा था। उस समय कान्हा और सभी बालक खेल रहे थे। तब बगुले ने कृष्ण को निगल लिया और कुछ ही देर बाद कान्हा ने उस बगुले को चीरकर उसका वध कर दिया।
    अघासुर का वध (Killing of Aghasura)
    अघासुर का वध (Killing of Aghasura)
    बकासुर के वध के बाद कंस ने कान्हा को मारने के लिए अघासुर को भेजा। अघासुर पुतना और बकासुर का छोटा भाई था। अघासुर बहुत ही भयंकर राक्षस था, सभी देवता भी उससे डरते थे। अघासुर ने कृष्ण को मारने के लिए विशाल अजगर का रूप धारण किया। इसी रूप में अघासुर अपना मुंह खोलकर रास्ते में ऐसे बन गया जैसे कोई गुफा हो। उस समय श्रीकृष्ण और सभी बालक वहां खेल रहे थे। एक बड़ी गुफा देखकर सभी बालकों ने उसमें प्रवेश करने का मन बनाया। सभी ग्वाले और कृष्ण आदि उस गुफा में घुस गए। मौका पाकर अघासुर ने अपना मुंह बंद कर लिया। जब सभी को अपने प्राणों पर संकट नजर आया तो श्रीकृष्ण से सबको बचाने की प्रार्थना करने लगे। तभी कृष्ण ने अपना शरीर तेजी से बढ़ाना शुरू कर दिया। अब कान्हा ने भी विशाल शरीर बना लिया था, इस कारण अघासुर सांस भी नहीं ले पा रहा था। इसी प्रकार अघासुर का भी वध हो गया।
    यमलार्जुन का उद्धार (yamlarjun ka uddhar)
    यमलार्जुन का उद्धार (yamlarjun ka uddhar)
    एक बार माता यशोदा श्रीकृष्ण की शरारतों से परेशान हो गईं और उन्होंने कान्हा को ऊखल से बांध दिया, ताकि बालकृष्ण इधर-उधर न जा सके। जब माता यशोदा घर के दूसरों कामों में व्यस्त हो गई तब कृष्ण ऊखल को ही खींचने लगे। वहां आंगन में दो बड़े-बड़े वृक्ष भी लगे हुए थे, कृष्ण ने उन दोनों वृक्षों के बीच में ऊखल फंसा दिया और जोर लगाकर खींच दिया। ऐसा करते ही दोनों वृक्ष जड़ सहित उखड़ गए। वृक्षों के उखड़ते ही उनमें से दो यक्ष प्रकट हुए, जिन्हें यमलार्जुन के नाम से जाना जाता था।
    ये दोनों यक्ष पूर्व जन्म कुबेर के पुत्र नलकूबर और मणिग्रीव थे। इन दोनों ने एक बार देवर्षि नारद का अपमान कर दिया था, इस कारण देवर्षि ने इन्हें वृक्ष बनने का शाप दे दिया था। श्रीकृष्ण ने वृक्षों को उखाड़कर इन दोनों यक्षों का उद्धार किया।

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